Friday 22 July 2016

Subhash Ghai

नई सोच नई दिशा एक सार्थक अवधारणा - सुभाष घई

राजस्थान फिल्म फेस्टिवल के इतिहास में पहली बार हुआ है की सुभाष घई समारोह के मुख्य अतिथि बने। उन्होंने बड़ी खुशी महसूस करते हुए राजस्थान फिल्म फेस्टिवल की अवधारणा नई सोच नई दिशा को सार्थक बताया और कहा की अगर कोई नई सोच और नई दिशा के साथ चलता है तो उसकी आधी मुश्किलें तो वैसे ही आसान हो जाती है।

साथ ही उन्होंने ये भी कहा राजस्थान कला, साहित्य और संस्कृति का भंडार है, हमें हमारे कल्चर को प्रमोट करते हुए फिल्मो का निर्माण करना चाहिये, हमे किसी और का अनुसरण न करते हुए स्वंयं के साहित्य और संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए।  उन्होंने बताया की सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं है सिनेमा अपनी कला एव संस्कृति को हर जगह पहुँचाने का सबसे बड़ा माध्यम है अगर हमें अपने सिनेमा को उठाना है तो केवल सरकार के भरोसे बैठना उचित नहीं है, हमें स्वयं को प्रयास करने होगें तभी राजस्थानी सिनेमा आगे बढेगा।


Tuesday 12 July 2016

Rajasthani Cinema At Jaipur Bagh 2015

जयपुर बाग में सतरंगी हुआ राजस्थानी सिनेमा

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समारोह के मुख्य अतिथि बने बॉलीवुड के शोमैन कहे जाने वाले सुभाष घई और समारोह की अध्यक्षता की सुचना एव प्रसारण मंत्री राज्‍यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने।
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राजस्थानी भाषा, कला, संस्कृति, एवं राजस्थानी सिनेमा के कलाकारों को सम्मान प्रदान के लिए हर साल की भांति इस बार भी जयपुर बाग़, वैशाली नगर मे २६ सितम्बर २०१५ को कंचन कैसेट्स और सिनेक्स विज़न द्वरा  राजस्थान फिल्म फेस्टिवल तृत्य अवार्ड सेरेमनी का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्या   अतिथि थे बॉलीवुड के जाने माने निर्माता-निर्देशक शोमैन सुभाष घई और समारोह अध्यक्षता की सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने। इनके  साथ- साथ समारोह मे अनूप सोनी, अरुण बक्शी, कोमल नाहटास्वरुप खान,अमृता प्रकाश,निर्भय वाधवा,राहुल शर्मा,अनिरुद्ध दवे जैसा बॉलीवुड और टेलीविज़न की कई हस्तियां और कलाकार उपस्थित थे।

इस दौरान सुभाष घई ने समरह की अवधारणा "नई सोच नई दिशा" की तारीफ तारीफ करता हुए कहा   की  किसी भी सिनेमा मे वहाँ के समाज का गहरा प्रभाव रहता है। समारोह मे रजदयवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि यह फेस्टिवल राजस्थानी सिनेमा के लिए सार्थक  कदम है और वे राजस्थानी सिनेमा को दूरदर्शन पर दिखाने के लिए व्यक्तिगत रूप आग्रह करेंगे कि सप्ताह में कम से कम एक बार राजस्थानी फिल्म का प्रदर्शन किया जाये।


इस समारहो को बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता अनूप सोनी, आर.जे.मोहित  और अरुण बख्शी ने होस्ट करके सभी दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया, साथ ही मीणा नाहटा, रविन्द्र उपाध्याय, कबीर और नितिन ने भी भरपूर सहयोग किया। समारहो के बीच होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक रंगो ने दर्शकों का मन मोह लिया और धनराज दाधीच के लिखे, विक्रम सिंह के संगीत बद्ध किये तथा रवीन्द्र उपाध्याय व बुन्दू खान द्वारा गाये राजस्थान फिल्म फेस्टिवल के थीम सॉंग ' मेरी जान तेरी शान ' ने पुरे माहोल को राजस्थानी रंग में रंग दिया। इस समारहो में लगभग ५००० लोगों की उपस्थिति  के बीच राजस्थानी सिनेमा के कलाकारों को सिनेमा की २५ श्रेणियों में सम्मानित किया गया।  इसके साथ ही राजस्थानी सिनेमा की बेहतरी के लिए प्रयास करने वाले कई निर्माता, निर्देशकों व अन्य कलाकारों को समृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया तथा अवॉर्ड सेरेमनी को इ. टी.वी. राजस्थान पर प्रसारित किया गया। इस समारहो में निर्णायक के रूप में श्रीमान विश्व मोहन भटट, निर्देशक विक्की राणावत और कैमरे मैन एस. पप्पू अपनी बखूबी भूमिका निभाई।

                                                                                    


Saturday 2 July 2016

Words From Director Desk

दशा एव दिशा

जैसा की आप जानते है राजस्थान फिल्म फेस्टिवल तीन दिवसीय होना लगे है और अवॉर्ड समारोह से एक दिन पहले राजस्थानी सिनेमा की दशा पर एक विशेष परिचर्चा रखी जाती है और इस बार भी राजस्थानी सिनेमा की दशा एवं दिशा पर २५ सितम्बर २०१५ को एक विशेष परिचर्चा रखी गई। इस कार्यक्रम की अध्य्क्षता बॉलीवुड के जाने मने प्रोडूसर डायरेक्टर सावन कुमार टाक ने की। इस परिचर्चा में के.सी. मालू, सत्यवान पारीक,नंदू जलानी,शब्बीर खान,अजय शर्मा,आर.के.सारा,मोहन कटारिया आदि के साथ-साथ राजस्थानी  सिनेमा से जुड़े निर्मातानिर्देशरलेखकतकनीशियनवितरककलाकार आदि ने भाग लिया और राजस्थान सिनेमा की दशा एवं दिशा पर विशेष चर्चा की।

इस मौके पर सावन कुमार टाक ने कहा कि राजस्थानी सिनेमा के बिगड़ते हालात के लिए हम स्वयं जिम्मेदार है। आज दर्शक समझदार हो गये है, हमे क्वालिटी चाहिए। ये बात राजस्थानी सिनेमा के निर्माता और जिम्मेदार है। आज दर्शक समझदार हो गए है, उन्हें क्वालिटी चाहिए।  ये बात राजस्थानी सिनेमा के निर्माता और निर्देशकों को समझनी ही होगी। सरकार को कोसने के बजाय हमें अपनी गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए तभी राजस्थानी सिनेमा का उध्दार हो सकता है। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि सिनेमा एक व्यवसाय है और कोई व्यक्ति भावनाओ में बहकर अपना नुकसान नहीं करना चाहेगा, इसलिए हमे इसके लिए मिलजुल कर प्रयास करने होगें, ईगो छोड़ना होगा तभी राजस्थानी सिनेमा आगे बढ़ पायेगा।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के.सी. मालू ने कहा कि जब सरकार शिक्षा, स्वास्थय आदि पर इतना बजट खर्च कर रही है तो कला एव संस्कृति के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? सरकार को कला एव संस्कृति विभाग पर भी ध्यान देने की जरुरत है। तभी राजस्थानी सिनेमा की स्थिति में सुधार होगा। इसके साथ सभी ने आपने-आपने विचार व्यक्त कर इस कार्यक्र्म को सफल बनाया।