Thursday 28 April 2016

Editorial

मैं अकेली ही चली थी मज़िल - जानिब मगर,
लोग मिलते गये कारवां बनता गया।

मैं राजस्थान में जन्मी, पली- बड़ी इसलिए यहाँ की माटी मेरी रंग रंग में बसी है और राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जो अपनी कला, संस्कृति, रहन- सनह, रीती- रिवाज़ आदि में विश्व पटल पर अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है, किन्तु हमारा राजस्थानी सिनेमा अन्य क्षेत्रिय सिनेमाओं की तुलना में उनका सुद्रढ नहीं है। काम और प्रोत्साहन के आभाव में प्रतिभाएँ पलायन को विश्व है।

कला जगत मे जुड़ी होना का नाते ये बातें मेरे दिल को चबने लगी और राजस्थानी सिनेमा को मंच पर लाने की ठान ली। फ़लस्वरूप २८ सितम्बर २०१३ को कंचन कैसेट्स के बेनर तले राजस्थान फिल्म फेस्टिवल के रूप मे एक बिरवा रोपा जो आज आप के सहयोग से एक विशाल बरगद की शक्ल मे चूका है। ये तो एक शुरुवात है , मेरी दिली तमन्ना है की राजस्थानी सिनेमा बहुत आगे जाये। अच्छी फिल्मे बने ,यहां स्टूडियो बने, फिल्म सिटी बने, अच्छे इंस्टिट्यूट हो, जिस्म यहाँ कलाकार और तकनीशियन उभर के आये। किसी को मुंबई की तरफ भागना पड़े, हमारी फिल्में दूरदर्शन और अन्य चैनलों पर चले, इन सब बातों का लिए मै ज़िन्दगी भर प्रयास करती रहूंगी और आप सब का साथ इसी तरह से बना रहा तो राजस्थान फिल्म फेस्टिवल का कद ओर बढ़ेगा।

मित्रों किसी भी काम की सफलता के लिए एक मजबूत टीम और सहयोग की आवश्यकता होती है और इस राजस्थान फिल्म फेस्टिवल को खड़ा करने में नीरज खण्डेलवाल और मेरी पूरी टीम का अमूल्य योगदान रहा है, में इन सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हुँ, साथ में यह भी कहना चाहुंगी की हर आयोजन में कुछ कमियाँ रह ही जाती है और मैं हमेशा मेरी कमियों को दूर करने का प्रयास करती हुँ। मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना ना होकर राजस्थानी सिनेमा का सम्पूर्ण विकास करना है। मैं इसके लिए सदैव तत्पर रहुंगी।

जय जय राजस्थान





संजना शर्मा
डायरेक्टर
कंचन कैसेट एण्ड सीरीज

Saturday 23 April 2016

Introduction - Naee Soch Naee Disha

एक परिचय
सिनेमा समाज का दर्पण होता है, उस समय के पहनावे, संस्कृति और बोलचाल का परिचायक होता है।   लोग उसे देखकर अनुसरण करते है, सीखते है, सिनेमा के साथ - साथ भाषा भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है और राजस्थानी ११ करोड़ राजस्थानियों की समर्ध भाषा है।

अतः इसी सिनेमा, संस्कृति एवं भाषा का प्रचार- प्रसार करने तथा राजस्थानी सिनेमा से जुड़े कलाकारों को सम्मान प्रदान करने के लिए कंचन कैसेटस एवं सीरीज ने २८ सितंबर २०१३ को राजस्थान फ्लिम फेस्टिवल के रूप में एक अवार्ड समारोह की नीव रखी। जो आज पूर्णत: एक बड़ी इमारत की शक्ल ले चुका है और ये इमारत दिनों-दिन बड़ी होती जा रही है। इसके तहत राजस्थानी सिनेमा से जुड़े सेंकडो कलाकारों को विभिन्न श्रीनियो में पुरस्कृत किया जा चुका है और राजस्थानी सिनेमा की बेहतरी के लिए प्रयास करने वाली कई हस्तियां को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया जा चूका है।

अब यह समारोह दो दिन का होने लगा है। जिसके तहत समारोह के पहले दिन राजस्थानी सिनेमा की दशा एवं दिशा पर एक विशेष परिचर्चा रखी जाती है। इसमें राजस्थानी सिनेमा से जुड़े निर्माता, निर्देशक, लेखक, वितरक, सिनेमा मालिक, तकनीशियन और कलाकारों आदि के साथ विभिन्न कला एव सांस्कृतिक विभागों के पदाधिकारी शामिल होते है और सिनेमा के विभिन्न पहलूओं पर विशेष परिचर्चा की जाती है। अगले दिन विभिन्न केटिगिरिज में कलाकारों को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। 

इस समारोह के सार्थक परिणाम सामने आये है और सिनेमा में नये प्राणों का संचार हुआ है अब कई बड़े बजट की और अच्छी फिल्मे बनने लगी हैं। लोगो का ध्यान भी राजस्थानी सिनेमा की तरफ बढ़नें लगा हा और सरकार भी इस प्रयासों से  प्रभावित होकर अनुदान राशि से बढाकर १० लाख कर दी है जो राजस्थानी सिनेमा का लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। अब या शुभ संकेत देख कर आभास  होने लगा है की अगर ऐसा ही चलता रहा तो राजस्थानी सिनेमा फिर से उन्हीं उचाईयां को छूने लगेगा और राजस्थानी सिनेमा के भी  अच्छे  दिन जायेंगे।