एक परिचय
सिनेमा समाज का
दर्पण होता है,
उस समय के
पहनावे, संस्कृति और बोलचाल
का परिचायक होता
है। लोग
उसे देखकर अनुसरण
करते है, सीखते
है, सिनेमा के
साथ - साथ भाषा
भी अपना महत्वपूर्ण
स्थान रखती है
और राजस्थानी ११
करोड़ राजस्थानियों की
समर्ध भाषा है।
अब यह समारोह
दो दिन का
होने लगा है।
जिसके तहत समारोह के
पहले दिन राजस्थानी
सिनेमा की दशा
एवं दिशा पर
एक विशेष परिचर्चा
रखी जाती है।
इसमें राजस्थानी सिनेमा
से जुड़े निर्माता,
निर्देशक, लेखक, वितरक, सिनेमा
मालिक, तकनीशियन और कलाकारों
आदि के साथ
विभिन्न कला एव
सांस्कृतिक विभागों के पदाधिकारी
शामिल होते है
और सिनेमा के
विभिन्न पहलूओं पर विशेष
परिचर्चा की जाती
है। अगले दिन
विभिन्न केटिगिरिज में कलाकारों
को पुरस्कार प्रदान
कर सम्मानित किया
जाता है।
इस समारोह के सार्थक
परिणाम सामने आये है
और सिनेमा में
नये प्राणों का
संचार हुआ है
। अब कई
बड़े बजट की
और अच्छी फिल्मे
बनने लगी हैं।
लोगो का ध्यान
भी राजस्थानी सिनेमा
की तरफ बढ़नें
लगा हा और
सरकार न भी
इस प्रयासों से प्रभावित
होकर अनुदान राशि
५ से बढाकर
१० लाख कर
दी है जो
राजस्थानी सिनेमा का लिए
किसी संजीवनी से
कम नहीं है।
अब या शुभ
संकेत देख कर
आभास होने
लगा है की
अगर ऐसा ही
चलता रहा तो
राजस्थानी सिनेमा फिर से
उन्हीं उचाईयां को छूने
लगेगा और राजस्थानी
सिनेमा के भी अच्छे दिन
आ जायेंगे।
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