मैं अकेली ही चली
थी मज़िल - जानिब
मगर,
लोग मिलते गये कारवां
बनता गया।
मैं राजस्थान में जन्मी,
पली- बड़ी इसलिए
यहाँ की माटी
मेरी रंग रंग
में बसी है
और राजस्थान एक
ऐसा प्रदेश है
जो अपनी कला,
संस्कृति, रहन- सनह,
रीती- रिवाज़ आदि
में विश्व पटल
पर अपना महत्वपूर्ण
स्थान रखता है,
किन्तु हमारा राजस्थानी सिनेमा
अन्य क्षेत्रिय सिनेमाओं
की तुलना में
उनका सुद्रढ नहीं
है। काम और
प्रोत्साहन के आभाव
में प्रतिभाएँ पलायन
को विश्व है।
कला जगत मे
जुड़ी होना का
नाते ये बातें
मेरे दिल को
चबने लगी और
राजस्थानी सिनेमा को मंच
पर लाने की
ठान ली। फ़लस्वरूप
२८ सितम्बर २०१३
को कंचन कैसेट्स
के बेनर तले
राजस्थान फिल्म फेस्टिवल के
रूप मे एक
बिरवा रोपा जो
आज आप के
सहयोग से एक
विशाल बरगद की
शक्ल मे चूका
है। ये तो
एक शुरुवात है
, मेरी दिली तमन्ना
है की राजस्थानी
सिनेमा बहुत आगे
जाये। अच्छी फिल्मे
बने ,यहां स्टूडियो
बने, फिल्म सिटी
बने, अच्छे इंस्टिट्यूट
हो, जिस्म यहाँ
कलाकार और तकनीशियन
उभर के आये।
किसी को मुंबई
की तरफ भागना
न पड़े, हमारी
फिल्में दूरदर्शन और अन्य
चैनलों पर चले,
इन सब बातों
का लिए मै
ज़िन्दगी भर प्रयास
करती रहूंगी और
आप सब का
साथ इसी तरह
से बना रहा
तो राजस्थान फिल्म फेस्टिवल का कद
ओर बढ़ेगा।
मित्रों किसी भी
काम की सफलता
के लिए एक
मजबूत टीम और
सहयोग की आवश्यकता
होती है और
इस राजस्थान फिल्म
फेस्टिवल को खड़ा
करने में नीरज
खण्डेलवाल और मेरी
पूरी टीम का
अमूल्य योगदान रहा है,
में इन सभी
का शुक्रिया अदा
करना चाहती हुँ,
साथ में यह
भी कहना चाहुंगी
की हर आयोजन
में कुछ कमियाँ
रह ही जाती
है और मैं
हमेशा मेरी कमियों
को दूर करने
का प्रयास करती
हुँ। मेरा उद्देश्य
किसी को ठेस
पहुंचाना ना होकर
राजस्थानी सिनेमा का सम्पूर्ण
विकास करना है।
मैं इसके लिए
सदैव तत्पर रहुंगी।
जय जय
राजस्थान
संजना शर्मा
डायरेक्टर
कंचन कैसेट एण्ड सीरीज