राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। बड़े बड़े शूरवीरों की धरती, बड़े बड़े भामाशाहों की धरती, यहाँ की कला एवं संस्कृति विश्व मे कोने-कोने मे फैली हा। कहने का मतलब यह है कि राजस्थान अपने हर क्षेत्र मे अग्रणी है किन्तु जब राजस्थानी सिनेमा की बात चलती है तो हमे थोड़ा नीचा देखना पड़ता है। एक वक़्त था जब राजस्थानी सिनेमा का डंका चारों तरफ बजता था, हमारे सिनेमा में माधुरी दीक्षित, धर्मेंदर, गोविंदा, असरानी, आलोक नाथ, किरण कुमार, जैसी बॉलीवुड के कई कलाकारों ने अभिनय के जौहर दिखाये। २००१ में जगमोहन मुंधरा की फिल्म बवंडर ने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते लेकिन उसके बाद राजस्थान सिनेमा के विकास की रफ़्तार थोड़ी धीमी पड़ी है, ये हमारे लिए भी चिंता का विषय है।
हालांकि वर्तमान में राजस्थानी सिनेमा ने पुनः रफ़्तार पकड़ी है, कई अच्छी फिल्में बनने लगी है पर ठोस अपील के आभाव में राजस्थान सिनेमा क्षेत्र विशेष में ही सिमटता जा रहा है और सीमित बजट के कारण फिल्मों का प्रदर्शन प्रमुख शहरों में नहीं हो पा रहा है। इससे मुनाफे की उम्मीद काम ही रहती है।
आज हमें इन्ही बातों पर आत्म मंथन की आवयश्कता है पर हम आत्म मंथन किये बिना ही खामियों का ठीकरा सरकार वितरण और सिनेमा मालिक के सर पर फोड़ देते है की इन्ही वजह से हमारा सिनेमा उठ नहीं पा रहा है, ये उचित नहीं है। परिवर्तन प्रकति का नियम है और आज हमें परिवर्तन की आवयश्कता है। फिल्मकारों को समय के साथ चलने वाली राजस्थानी फिल्में सच्ची लगन, मेहनत, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति से बनाकर पब्लिक का विशवास जितना चाहिए। अगर एक बार हमने विश्वास जीत लिया तो फिर पब्लिक सिनेमाघरों तक बिना डोर के ही खींची चली आएगी।
आज राजस्थान सिनेमा को सबसे सहयोग और एक जुटता की आवयश्कता है। साथ ही राजस्थानी सिनेमा सरकार, समृद्ध निर्माताओ, निर्देशकों, सिनेमा मालिकों, वितरकों, लेखकों, कलाकारों, गीतकारों, तकनीशियनों से भी बड़ी उम्मीद लगाये बैठा है। इन सबसे सहयोग बिना राजस्थानी सिनेमा के विकास की कल्पना संभव नहीं है। आखिर में एक बात और कहना चाहुंगा की मै तीन साल से लेखक एव गीतकार के रूप में राजस्थान फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा हुँ। सचमुच राजस्थान फिल्म फेस्टिवल ने हमें बड़ा मंच दिया है और यह फेस्टिवल राजस्थानी सिनेमा के लिए सार्थक कदम है। मै सदैव राजस्थान फिल्म फेस्टिवल का आभारी रहूगा। इस पद के लिए मैं सदैव उनका आभारी रहूँगा ।
जय जय राजस्थान
धनराज दाधीच
लेखक एवं गीतकार